Thursday, January 20, 2022

RAAT JANGAL KI ( KSHANIKA )

 

                    रात जंगल की

 

एक समय की बात है ,जब गाँव ,खेत और जंगल थे ,

बड़े और घने जंगल थे ,

रात के समय अगर गुजरो वहाँ से ,

जुगनुओं का मेला लगा रहता था | 

 

झींगुरों की आवाज गूँजती रहती थी ,

घने पेड़ों के कारण चाँद की ,

चाँदनी भी नीचे तक नहीं जाती थी ,

सर्दी की रातें तो और काली हो जाती थीं | 

 

अगर पैदल वहाँ से निकलो ,

तो डर ही दिल में समाया रहता था ,

जुगनुओं की चमक से दिल में ,

और होठों पर मुस्कान का साया रहता था | 

 

आज भी धरा पर  जंगल हैं ,

 मगर वो तो कंक्रीट के जंगल हैं ,

 पेड़ों का नामोनिशां तक नहीं ,

जुगनू तो अब दिखाई ही नहीं देते हैं | 


आज तो जुगनुओं की जगह ली है ,

किसी और ने यानि मोबाईल फोन ने ,

उसी की लाइट जलाओ तो ,

दूर वाला उसे ही जुगनू समझेगा ,

यह तो आधुनिक जुगनू है दोस्तों | 


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