भाल गगन का
हुआ सूर्यास्त ,शाम का धुँधलका ,
पंछी चल दिए ,अपने नीड़ की ओर ,
उतर आया धरा पर ,रात का अँधेरा ,
चमके जगमग तारे ,गगन के भाल पर |
दिन भर के काम से ,थके -हारे प्राणी ,
करने लगे आराम ,अपने धाम पर ,
आराम के बाद ,जागे प्राणी ,
सुबह हुई ,छायी लाली ,गगन के भाल पर |
सूर्य मुस्कुराया ,जग में उजाला छाया ,
जीवन भी जगमगाया ,पंछी ने गीत गाया ,
सब जीव लगे काम पर ,आलस सभी का भागा ,
दिया कर्म तब दिखाई ,गगन के भाल पर |
सूर्य का रथ चल दिया ,पौधे भी मुस्कुराए ,
फूलों के रंग देखकर ,तितलियों ने पर फैलाए ,
बच्चों की टोली ने भी ,शोर सा मचाया ,
संगीत बज उठा तब ,गगन के भाल पर |
नव दिवस आता देखकर ,हर कोई मुस्कुराया ,
धीरे से समय ने भी ,अपना पग बढ़ाया ,
ऐसे ही धीरे - धीरे ,नव -वर्ष भी है आया ,
बधाईयों का संदेश भी ,चमका गगन के भाल पर |
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