नींद का पैग़ाम
ढल गया दिन आई शाम ,
लाई तेरे लिए नींद का पैग़ाम ,
चंदा भी गाता लोरी ,
चाँदनी झुलाती है पलना ------ |
कलियाँ सोईं हैं चमन में ,
तारे सोए हैं गगन में ,
पंछी सोए आँगन में ,
तू भी सोजा मेरे मन में ------ |
निंदिया रानी आएगी ,
सपने तुझे दिखाएगी ,
परियों के उस देश की वो ,
तुझको सैर कराएगी ------ |
No comments:
Post a Comment