Saturday, March 26, 2022

SUNAHARI DHOOP ( JIVAN )

 

                         सुनहरी धूप 

 

कितनी उधेड़बुन है  जिंदगी में ,कभी छाँव तो कभी धूप ,

वो वो गर चाहे तो बदल सकता है ,जिंदगी का यह रूप | 

 

तमन्ना है कि जिंदगी फिर से ,पहले सी हो जाए ,

मगर यह होगा तभी जब वो ,चाहे बदलना इसका रूप | 

 

जीवन कब एक जैसा चलता है ,बदलता है उसका रूप ,

कंकरीले रास्ते हैं कभी ,तो कभी कालीन बिछे हैं खूब | 

 

रात के अँधियारे छाए हैं कभी ,तो खिली है कभी धूप ,

कभी -कभी तो रात में ही ,खिल गई है चाँदनी अनूप | 

 

भोर हुई तो रवि के दर्शन हुए ,बाद में तो तप गई है धूप ,

शाम के आँगन में आते ही ,फ़ैल गई है हल्की सुनहरी धूप | 


उसी ने दर्द छिड़क दिया ,है पूरे जहान में ,

वही तो छिड़केगा दवा भी ,खाली करेगा दर्दों का कूप | 


वही तो बदलेगा अँधियारों को ,उजियालों की भोर  में ,

वही तो देगा सभी को ,प्यार का अनोखा स्वरुप | 


तू भी हाथ थाम ले उसका ,ले सहारा उसी का ,

वही तो खड़ा करके तुझे ,देगा शक्ति भरपूर | 


रंग जाएगा जीवन ,उसी के प्यारे से रंग में ,

उसी के प्यार में अगर ,तू जाएगा डूब | 


काँच जैसी ये जिंदगी है ,हल्की सी चोट का भी खतरा है ,

बचा के रखना है इसे ,जिससे ये ना टूट जाए | 


कलम से शब्द बिखरते जाते ,पन्नों पे संवर जाते हैं ,

इन्हें जोड़कर तू गीत बना ,खुश हो जाए सबका दिल खूब | 


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