एक सपना
सुबह की मीठी नींद में देखा ,
हमने सुंदर सपना ,
घूम रहे हैं हम वहाँ दोस्तों ,
बचपन का घर था जो अपना |
छोटी बगिया खिली वहाँ पर ,
तितलियाँ उड़ रहीं थीं फर -फर ,
प्यार बसा था उस बगिया में ,
तितली का खेल था अपना |
बचपन के घर में हम तो दोस्तों ,
रहे खेलते घंटों ,
यादें जहाँ बसी थीं अपनी ,
जीवन बीता जहाँ अपना |
तभी आए दो साये वहाँ पर ,
प्यार से हाथ को थामा ,
गौर से उनको देखा जब तो ,
वो थे साये माता -पिता के अपने |
नींद खुली जब चौंक के दोस्तों ,
पाया खुद को अकेला ,
सपने के ध्यान में हम डूबे ,
और बोल उठे ,"ये तो था एक सपना " |
No comments:
Post a Comment