सीख
अच्छे कर्म करके मानव ,उसका जिक्र ना करना कभी ,
उसके फल की चिंता ना करना कभी ,
सब कुछ उस रचेता पर छोड़ दो ,
बेफिक्री में बसर करना सदा |
अपने शब्दों और सोच को सकारात्मक रखना ,
यही तो रिश्तों और सौहार्द को ,घटाते और बढ़ाते हैं ,
दोनों को तोल ,मोल कर व्यक्त करना ,
तभी दोनों चैन की नींद सुलाते हैं |
कभी भी शाम की तरह ,मायूसी लेकर ना ढलना बंधु ,
भोर की तरह उगना तो ,सीखो बंधु ,
एक स्थान पर रुक के ,खड़े मत होना ,थक जाओगे ,
अपने लक्ष्य की और ,बढ़ते रहना ,
लक्ष्य पा जाओगे ,लक्ष्य पा जाओगे |
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