Thursday, December 7, 2023

CHANDRA MUKHI ( CHANDRAMA)

 

                     चंद्र मुखी 


चंद्रमा को देख - देख ,मैं बनी चंद्र मुखी ,

रोज - रोज चंद्रमा से ,बात मैं करूँ ,

रात को सो जाएँ सब ,मैं जागा करूँ ,

उसी से तो मैं ,खुश हूँ मेरी सखि || 


चंद्रमा खिड़की से बाहर ,गुहार ये लगाए ,

खिड़की पे आजा तू ,हम दोनों ही बतियाएँ ,

मैं दौड़ कर खिड़की पे ,पहुँच जाऊँ मेरी सखि || 


बातों का सिलसिला ,हमारा चलता ही जाए ,

करके ढेरों बातें ,हम दोनों मुस्कुराएँ ,

कैसे समय हमारा ,लंबा ही बीता जाए ?

भोर का तारा ,जब हमको नजर आए ,

तब चंद्रमा  भी दौड़ लगा  ,घर जाए मेरी सखि || 


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