Saturday, January 9, 2021

SAFAR NADI KA ( GEET )

       सफर नदी का 

 

सफर कट रहा है जिंदगी का ,

प्यार से दुलार से ,लगातार से ,

चलते - चलते नदिया किनार से ,

बहती हुई नदिया की धार से | 

 

धार थी उदास सी ,

कुछ गुमसुम सी ,कुछ चुपचाप सी ,

पूछा जो उससे तो ,

नम आँखों से देखती सी बोली ,

ये उदासी तो अब ,

कभी ख़त्म ना होगी | 


क्यूँ ? कोई समस्या है तो बोलो ,

दिल का राज़ खोलो ,

सहमी सी आवाज़ में वो बोली ,

मेरा पानी तो दूषित हो गया है ,

शहर का गंद मुझ में घुल गया है ,

पीने योग्य नहीं रह गया है | 


कोई लाए गर संजीवनी ,

तो साफ हो जाए ये गंदगी ,

जी उठे मेरी जिंदगी ,

बहने लगूँ सुगंधित होकर ,

नीर पिएँ सभी खुश होकर | 


तभी तो कट जाएगा सफर ,

साथ सभी के चलते - चलते ,

तभी तो मंजिल पर पहुँचुँगी मैं ,

राहों को पार करते - करते ,

साथियों के साथ ही तो सफर ,

सुहाना हो जाता है चलते - चलते | 


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