मेघा रे (मेघा ) भाग -- 24
पैरों के नीचे दूधिया चमकीले मेघा ,
ऊपर गहरा नील गगन ,
बीच में हैं मैं और मेरा अंश ,
देखते चहुँ ओर उसके चमकीले नयन |
चारों ओर बना है घेरा ,
चमकीले क्षितिज का ,
जिसका बिखरता प्रकाश ,
कर रहा है नाश रात के तिमिर का |
मेघों के ऊपर नन्हें कदम बढ़े ,
धीरे -धीरे मेरे नन्हें अंश के ,
गुदगुदाहट महसूस कर के ,
मुस्कराहट बिखराई नन्हें अंश ने |
हाथों की मुट्ठियाँ भी ,तैरी हैं यूँ हवा में ,
जैसे की उड़ रहा हो ,संग बदरा के हवा में,
नन्हें नयनों की चमक ने ,फैलाया है उजाला ,
किलकारियों ने उसकी ,संगीत है संवारा |
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