गुनगुना ले
साँसों के तार पर ,गुनगुना ले राही ,
धड़कन की ताल पर ,पैर चला ले राही ,
जीवन तो इन्हीं से चलता है ,
इन्हीं पर जीवन बिता ले राही |
विधना सेअलग ,कोई ना जाने ,
कब साँसें पूरी हो जाएँ ?
विधना से अलग ,कोई ना जाने ,
कब धड़कन बंद पड़ जाए ?
इसीलिए तू जश्न मना ,
मुस्कान बिखेर ,जीवन को सुंदर बना ले राही |
कल जो होना है ,होगा ही ,
आज जो है वो सच है ,
कल बीत गया ,आने वाला कल सपना है ,
इसलिए आज ,आज और आज में जी ले तू राही |
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