सपनों की टोली
चाँद की चाँदनी से ,चमचमाती रातों में ,
जब हमें नींद आई ,निंदिया डूबे तो ,
सपनों की टोली आई ,
ले गई एक अनजानी दुनिया में ,
हमारी पहचानी दुनिया से बहुत दूर |
सुंदर सा ,चमचमाता सा जहां था ,
दूर -दूर तक ,तारों भरा आसमां था ,
तारों की झिलमिल से ,आँखें झिलमिलाईं ,
सपनों को देख -देख ,आँखें भी मुस्कुराईं |
ठंडी और मीठी बयार के झोंके थे ,
होंठों पे मुस्कान लिए हम तो रुके थे ,
ऐसे में ही चाँदनी ,चमक लिए आई ,
हाथ पकड़ हमारा ,आगे को बढ़ गई |
तभी दूर ,एक तारा टूटा गगन में ,
ऐसा नज़ारा ,देखा कभी हमने ,
लगा जैसे वो ,तारा आएगा हमारे आँचल में ,
मगर वो तो बहुत दूर था ,बात नहीं बन पाई |
अफ़सोस नहीं था ,इस बात का ,
तारा नहीं आया ,आँचल में हमारे ,
मगर वो नज़ारा ,बहुत सुंदर था ,
जो आज भी हमारे ,दिल में बसा हुआ है |
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