खिलखिलाती नदिया
निर्मल शीतल जल की धारा ,
हिमगिरि शिखर से उतरी ,
पहले धीरे से ,फिर उछलकर ,बही तेजी से ,
आस -पास के नन्हें पादप ,मुस्कुराए देखकर ,
नवीन ,पल्लवित पादपों से ,हाथ मिलाती ,गुनगुनाती ,
दौड़ चली ,दौड़ चली और दौड़ चली |
वेगवान सी वह जल की धारा ,मैदान में पहुँच ,
नदिया कहलायी ,हँसती ,मुस्कुराती ,
दौड़ती रही ,सब को सुख पहुँचाती रही ,
जीवन बाँटती रही ,खिलखिलाती रही ,
बच्चे भी आए ,खेलते रहे ,तैरते रहे ,
और नदिया मुस्कुराती और खिलखिलाती रही |
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