Thursday, October 15, 2020

SANDALI KHUSHBU ( GEET )

                 संदली खुश्बु 


भोली -भाली प्यारी सी ,मेरी राजकुमारी सी ,

बोली ऐसी कोयल कूके,संदल सी फूलों में महके|


नन्हीं सी वो मटके चटके,गले में मेरे जब वो लटके,

मुस्कानों का वो भंडार ,मिलती हैं यूँ ख़ुशी हजार |


परी है वो तो सारे घर की,सारे घर में उड़ती फिरती,

हमें मिली है ऐसी माया ,घर में खुशियों की है छाया |


छोटे -छोटे खेल खिलाए,घर में सबको वही सिखाए,

सबकी हुई साकार कल्पना,रंगों से जब सजी अल्पना|


अंश ॐ के पाए उसने ,घर में अरविंद खिलाए उसने ,

खिलती ऐसे चमन के फूल ,संदल सी महके है धूल |

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