Tuesday, October 27, 2020

CHAND JAANE KAHAN ( GEET )

            चंदा ---- 1      (चाँद जाने कहाँ  ) 

 

गगन में जब सूरज चमका,चाँद जाने कहाँ खो गया? 

बदरा छाए जब गगन में ,चाँद  जाने कहाँ खो गया ? 

मैं जो निद्रा में डूबी ,चाँद जाने कहाँ खो गया ? 

मैं जो सपनों में खोयी ,चाँद जाने कहाँ खो गया ? 

 

दिन निकलता रहा ,शाम ढलती रही ,

चाँद का हमको, कुछ भी  पता ना चला ,

ढूँढा किए हम उसे ,आसमां में सारा दिन ,

मगर अपना चाँद तो ,जाने कहाँ खो गया ? 

 

रात गहराती गई ,तारे टिम - टिम किए ,

रोज़ सपनों की ,दुनिया बदलती रही ,

सपनों में तो ,चाँद आता था रोज ,

जगते में चाँद की ,रंगत बदलती रही  | 

 

गायब रहता था चाँद ,दिखाई ना देता ,

गगना के माथे का टीका ,घूँघट में छिपा रहता ,

बदरा ऊपर गगन में ,फैले रहते थे रोज ,

पवना के संग खेलते - खेलते ,

चाँद को अपने घर में छिपाते थे रोज | 

 

क्या करें ,कहाँ ढूँढें ? हम अपने चाँद को ,

तुमने भी तो देखा होगा दोस्तों ,हमारे चाँद को ,

कोई हमको बता दे ,चाँद जाने कहाँ खो गया ? 

आओ संग हमारे दोस्तों ,ढुंढवाओ चाँद को दोस्तों | 

 

 

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