आने वालीं हैं बहारें
मौसम है आज पतझड़ का ,
चिंता मत करो यारों ,
नए फूल खिलेंगे ,
आएंगी फिर से बहारें यारों |
खुद को सुरक्षित रखो तुम,
घर में प्यार बनाओ तुम,
चिंता कुछ नहीं करो तुम,
जिंदगी भरपूर जियो तुम|
मत सोचो तुमने क्या खोया है ?
सोचो कि तुमने क्या पाया है ?
क्यों प्रकृति ने तुम्हें रुलाया है ?
क्यों वक्त ने तुम्हें सताया है ?
आज वक्त का सम्मान करो तुम यारों ,
आज तो प्रकृति से जुड़ जाओ तुम यारों ,
प्यार से परिवार खुश कर जाओ तुम यारों ,
तभी तो पाओगे सभी चिंताओं से मुक्ति तुम यारों |
वक्त बीत रहा है और बीतेगा ,
नया द्वार दुनिया में खुलेगा ,
नया रास्ता दुनिया में मिलेगा ,
उसी पर तो मानव फिर चलेगा |
प्रकृति देगी बहारें फिर से तुम्हें ,
वक्त देगा ठहाके फिर से तुम्हें ,
होठों पे मुस्कराहट तुम्हारे आएगी ,
भरेगी नै सी चहचहाहट फिर से तुम्हें |
जिंदगी फिर से मुस्कुराएगी ,
मुस्कुरा के नए गीत गुनगुनाएगी ,
रुको ना उस पल का इंतज़ार करो ,
एक नै सुबह जल्दी ही आएगी ,
उसी का इंतज़ार करो ,
आने पे उसका सत्कार करो ,
द्वार खोल दो उसके लिए ,
उठो और आरती सजा लो उसके लिए |
No comments:
Post a Comment