Tuesday, October 27, 2020

GALIYAN LAHARON KI ( GEET )

   गलियाँ लहरों की 


चंचल लहरें उछल - उछल कर ,

शोर मचाकर ,पहुँचीं मेरे पास ,

भीग गया मेरा तो तन -मन ,

पहुँच के उनके पास |


दाएँ -बाएँ खड़े थे जो ,सूखे -सूखे थे वो ,

नहीं था उनके कपड़ों पे,पानी का एक छींटा,

पर मैं भीगी थी इतना ,मन -तन सब ही भीगा |


लहरों में एक गीत था ,गीत में संगीत था ,

तन मन को मेरे उन ,लहरों ने थिरकाया ,

गलियाँ थीं वो कैसी ,जहाँ पे मुझको ,

लहरों ने नाच नचाया |


गलियाँ भीगी-भीगी सी,भरीं थीं फिसलन से,

नाच उठा था मन मेरा,संगीत की हर धड़कन पे,

यारों वो लहरों का साथ ,वो बजता संगीत ,

उन गलियों में लगे गूँजने ,प्यार के लाखों गीत |

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