Sunday, October 25, 2020

RAAVAN NE POOCHHAA ( SAMAJIK )

 

                   रावण ने पूछा


आज फिर क्यों आ गए ,मुझको जलाने तुम ?

आज फिर क्यों लेकर मशाल ,आ गए हो तुम ?

क्या किया  है मैंने बोलो मैं?

बहिन के अपमान का बदला लिया मैंने ,

सीता का हरण जरूर ही किया मैंने |


मगर क्या मैं उसको अपने घर लाया ?

क्या छुआ मैंने उसे ,क्या उसको सताया ?

मंदोदरी के साथ ही तो ,

मैं मिला जानकी को अशोक वाटिका में |


व्यवहार भी शालीन था मेरा ,

शब्द भी शालीन थे ,

मैं तो बहिन के अपमान के ,

बदले में तल्लीन था |


युद्ध से पहले यज्ञ में ,राम ने बुलवा लिया ,

यज्ञ करवा कर मैंने ,कर्त्तव्य अपना पूरा किया ,

विजयी भव का आशीष भी ,मैंने राम को दिया |


मेरे अंतिम समय में राम ने ,

लक्ष्मण को भेजा पास मेरे ,

मेरे राजनीतिक ज्ञान को लेने ,

वो भी सब दिया मैंने ,

जो भी था पास मेरे | 


फिर भी तुम मेरा पुतला ,

हर साल जलाते हो क्यों ?

क्यों नहीं मिटाते उन लोगों को ?

जो हर दिन अपमान करते ,एक नई सीता का ,

उन्हें मिटाओ ,मेरा अपमान करना बंद करो ,

मुझे बदनाम करना बंद करो ,

मेरा पुतला जलाना बंद करो |


मेरे नाम को उजियाओ ,

रावण ने नारी का अपमान ,

कभी नहीं किया और ना कभी सोचा |






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