रावण ने पूछा
आज फिर क्यों आ गए ,मुझको जलाने तुम ?
आज फिर क्यों लेकर मशाल ,आ गए हो तुम ?
क्या किया है मैंने बोलो मैं?
बहिन के अपमान का बदला लिया मैंने ,
सीता का हरण जरूर ही किया मैंने |
मगर क्या मैं उसको अपने घर लाया ?
क्या छुआ मैंने उसे ,क्या उसको सताया ?
मंदोदरी के साथ ही तो ,
मैं मिला जानकी को अशोक वाटिका में |
व्यवहार भी शालीन था मेरा ,
शब्द भी शालीन थे ,
मैं तो बहिन के अपमान के ,
बदले में तल्लीन था |
युद्ध से पहले यज्ञ में ,राम ने बुलवा लिया ,
यज्ञ करवा कर मैंने ,कर्त्तव्य अपना पूरा किया ,
विजयी भव का आशीष भी ,मैंने राम को दिया |
मेरे अंतिम समय में राम ने ,
लक्ष्मण को भेजा पास मेरे ,
मेरे राजनीतिक ज्ञान को लेने ,
वो भी सब दिया मैंने ,
जो भी था पास मेरे |
फिर भी तुम मेरा पुतला ,
हर साल जलाते हो क्यों ?
क्यों नहीं मिटाते उन लोगों को ?
जो हर दिन अपमान करते ,एक नई सीता का ,
उन्हें मिटाओ ,मेरा अपमान करना बंद करो ,
मुझे बदनाम करना बंद करो ,
मेरा पुतला जलाना बंद करो |
मेरे नाम को उजियाओ ,
रावण ने नारी का अपमान ,
कभी नहीं किया और ना कभी सोचा |
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