चंदा ----- 1 ( नाच गगन में )
झीना सा पर्दा चाँद के ,मुख पर बदरा ने डाला ,
दुनिया ने कहा चाँद तो ,बादलों में छिप गया ,
पर्दे से भला कहाँ ,छिप सकती थी चाँदनी ?
पर्दे को भेद कर वह ,दुनिया में फ़ैल गई |
पवन पर्दे को उड़ाया ,तो चाँद उजलाया ,
दुनिया मुस्काई कि ,चाँद निकल आया ,
चाँदनी की चमक ने ,दुनिया को चमकाया ,
दुनिया की मुस्कान देख ,चाँद भी मुस्काया |
झीने -झीने से बदरा ने ,पवन को साथ मिलाया ,
पवन ने बदरा से मिल ,गगन में खेल दिखाया ,
चाँदनी ने भी खेल खेला ,दुनिया को उजलाया ,
सभी ने मिलकर इस सारी ,दुनिया को मुस्काया |
चाँद ,चाँदनी ,बदरा ,पवन ,सब ही मिलकर खेले ,
तभी तारे गगन में छाए ,लेके मुस्कानों के मेले ,
सारे तारों ने मिलकर ,इन चारों को घेरा ,
टिम -टिम ,टिम -टिम करते ,तारों ने डाला डेरा |
एक साथ फिर खेले सब ही,गगन साथ मुस्काया ,
उसने अपने आँगन में , सभी को साथ नचाया ,
साथ में गगन ने ,मधुर गीत गाया -------- ,
"टिम -टिम तारे आओ ,नाचो और गाओ ,
अपने साथ में तुम ,सारी दुनिया को नचाओ | "
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