जाने कहाँ गए ?
कहाँ गईं वो सुनहरी आवाज़ें ,
जो दिल के तार छेड़ जातीं थीं ,
प्यार की दुनिया में हमको ले जातीं थीं ,
मदहोश कर जाती थीं |
" चौदहवीं का चाँद हो ,"
" बहारों फूल बरसाओ ,"
जैसे गीतों ने हमको गुदगुदाया ,
लगा जैसे मेरे लिए ही गाया |
" मेरे सपनों की रानी कब ,"
" ये शाम मस्तानी ,"
ने किया हमको दीवानी ,
कहाँ गई वो आवाज़ सुहानी ?
" ऐ - मेरी ज़ोहरा ज़बीं ,"
" लागा चुनरी में दाग ,"
सुनते लगता हम खो गए ,
गाने वाले की आवाज़ में गुम हो गए |
इन आवाज़ों के मालिक ,
दुनिया से हुए लापता ,
कोई ढूँढे तो दोस्तों ,
उनको बुलाने का रास्ता |
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