Sunday, October 11, 2020

LUKAA - CHHIPI ( SMALL POEM )

     लुका-छिपी     


बचपन के वो मेले ,

आओ लुका -छिपी खेलें ,

तुम छिप जाओ कहीं सहेली ,

मेरी डैन है आई ,

तुम्हें छिपी हुई को अब तो ,

मैं ढूँढूँगी भाई |


यहाँ -वहाँ है ढूँढा मैंने ,

कहाँ छिपी हो ,कहाँ छिपी हो ?

फ्रॉक तुम्हारा दिखा है मुझको ,

ढूँढ लिया है मैंने तुमको ,

अब तो मेरी प्यारी सखि ,

तुम्हारी डैन है आई |


छिपने का स्थान मिला है ,

ढूँढ नहीं पाओगी तुम तो ,

ढूँढ रही हो सभी जगह पर ,

पर मैं ना मिल पाई ,

परेशान मत हो सखि मेरी ,

खुद ही मैं निकल आई ,

लुका - छिपी के खेल में सहेली ,

जीत ही मैंने पाई ,जीत ही मैंने पाई |

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