लकीरें परिश्रम की
हाथों की लकीरें क्या कहतीं ?
माथे पे लिखा क्या भाग्य मेरा ?
क्या लिखा विधाता ने बंधु ?
कहते किसको किस्मत बंधु ?
सब प्रश्न खड़े हैं राहों में ,
सब प्रश्न अड़े हैं चाहों में ,
क्या हल है इन सब प्रश्नों का ?
क्या उत्तर है इन सब प्रश्नों का ?
हमने तो जीवन भर माना ,
" कर्म ही पूजा है " ,
" परिश्रम करो ,सफलता कदम चूमेगी "|
इसी सोच पर जन्म बिताया ,
इसी कर्म पर जन्म बिताया ,
यही तो अपना जीवन है ,
यही तो अथक परिश्रम है |
हाथों की मेहनत अपनी ,
हाथों का परिश्रम अपना ,
क्यों देखें दूजा सपना ?
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