Sunday, February 28, 2021

MEGHA RE (GHATAEN ) BHAG -30

 

   मेघा   रे  (घटाएँ )  भाग -- 30 

 

इस ठंडी हवा के साये तले ,

तेरी याद के दीपक आके जले ,

जब छाईं घटाएँ अंबर में ,

तुम क्यूँ ना मुझ से आके मिले ? 

 

मेरे दिल ने तुमको याद किया ,

अब तो आ जाओ मेरे पिया ,

जब बरखा बरसी सावन में , 

तुम देश में रहते भी ना मिले | 


जब बिछड़े साथी सावन में ,

क्यूँ बरखा बरसे आँगन में ? 

तू आया जो मेरे जीवन में ,

बगिया में बहुत से फूल खिले | 



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