मेघा रे (घटाएँ ) भाग -- 30
इस ठंडी हवा के साये तले ,
तेरी याद के दीपक आके जले ,
जब छाईं घटाएँ अंबर में ,
तुम क्यूँ ना मुझ से आके मिले ?
मेरे दिल ने तुमको याद किया ,
अब तो आ जाओ मेरे पिया ,
जब बरखा बरसी सावन में ,
तुम देश में रहते भी ना मिले |
जब बिछड़े साथी सावन में ,
क्यूँ बरखा बरसे आँगन में ?
तू आया जो मेरे जीवन में ,
बगिया में बहुत से फूल खिले |
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