रुका हुआ सा
चमकता सा चाँद , बादलों के बीच में ,
उड़ते हुए बादल , चाँद के सामने से ,
लगा यूँ चाँद भी , कुछ उड़ता हुआ सा ,
कभी लगा यूँ गगन में , बादल रुका हुआ सा ||
मुस्कुराता चाँद , बादल के पीछे झाँके ,
बादल भी मुस्कुराता , अठखेलियाँ भी करता ,
सबका ही खेल प्यारा , न्यारा सा नील गगन में ,
चाँद को भी लगा यूँ , बादल रुका हुआ सा ||
गगन से उतरीं मुस्कुराहटें , धरावासियों के होठों पे ,
होठ मुस्कुराए , नयना जगमगाए ,
सभी के तो दिल , खुशियों में डुबडुबाए ,
सभी को लगा यूँ , वो पल रुका हुआ सा ||
चाँद की चाँदनी भी , बादलों से छन के आई ,
धरावासियों ने मानो , चाँदी की ओढ़नी पाई ,
रात के अंधकार में , चाँदनी झिलमिलाई ,
सभी को लगा यूँ , वो पल रुका हुआ सा ||
मुस्कुराती चाँदनी तो , मेरे भी पास आई ,
उसने तो मेरी आँखें , प्यार से सहलाईं ,
निंदिया भी मेरी आँखों में , धीरे से यूँ समाई ,
मुझे तो लगा यूँ , वो पल रुका हुआ सा ||