रत्नाकर
कलरव छिप गयाहै घोंसलों में ,
खुशबुएँ छिपी हैं फूलों में ,
चाँद - तारे छिपे हैं बादलों में ,
रत्नाकर की लहरें भी गहराइयों में |
रत्नाकर के अंदर ही ,अनेक रत्न छिपे हैं ,
ऊपर से रत्नाकर ,साधारण सा दिखाई देता है ,
अंदर है रत्नों का खज़ाना ,सुंदर और अनमोल |
सभी जीव -जंतु ,गहराइयों में विचरते ,
साथ उठते -बैठते ,तैरते और रुकते ,
खिलखिलाते ,खेलते ,ना कोई परेशानी ,
जिंदगी तो अनमोल ,जिंदगी तो उनकी दीवानी |
आज रत्नाकर के तट हैं सूने ,
कोई ना आता लहरों से खेलने ,
लहरें भी हो चली उदास हैं ,
उनके भी दिल में एक प्यास है |
कोई आए ,उनके साथ खेले ,उन्हें छुए ,मुस्काए ,
रत्नाकर भी बाट जोहता है ,कोई आए ,उसे बुलाए ,
मगर निस दिन ,आस रह जाती अधूरी ,
कोई नहीं आता ,उसे बुलाता ,जाने कब हो पूरी |