- परिचय --- मेडिकल कॉलेज का
ज्ञान की सीढ़ी चढ़कर के , मुझमें प्रवेश तुम पा जाओ ,
मेरी बाँहें हैं खुली हुई , तुम इन बाँहों में खो जाओ |
विज्ञान वृक्ष की शाख कई , जानो तुम मानव काया को ,
क्या घटित हो रहा है अन्दर , जानो ईश्वर की माया को |
है रक्त दौड़ता धमनी में ,ऊर्जा पहुँचाए अंगों में ,
लौटा है वही शिराओं में , लेकर थकन को संगों में |
वायु पहुँची जो फुफ्फुस में , मानव दौड़ा सीना ताने ,
पर सोच अगर रुक जाए तो , उलझे हैं सब ताने -बाने |
छननी का काम करे गुर्दा , ना छननी तो मानव मुर्दा ,
जीते - जी काम करें सब ही , पूरा शरीर ही है कर्ता |
मानव दिमाग की सोचों में , पूरी काया बंध जाती है ,
कैसे हो ? किसका ? संचालन , अंगों की याद दिलाती है |
पर कहीं चूक हो जाए तो , गड़बड़ होता है तंत्र सभी ,
क्योंकि मिलजुलकर चलते हैं , चलते ना स्वतंत्र सभी |
जानोगे क्रियाविधि सब की , जानोगे क्यों गड़बड़ होती ,
क्यों रोग जन्मते काया में , किस अंग में क्या गड़बड़ होती ?
क्यों रक्त - चाप बढ़ जाता है ? क्यों रुक जाती दिल की धड़कन ?
क्यों छननी करती काम नहीं ? क्यों आवाज़ सुनायी दे सन-सन?
क्यों सांस नहीं आती ढंग से ? क्यों फुफ्फुस करते काम नहीं ?
क्यों भोजन ना पच पाए तो ? मिलता है क्यों आराम नहीं ?
ये सब कारण जानो तुम , रोगों से सबको दूर करो ,
जब ऐसा तुम कर पाओगे , तो जग में नाम कमाओगे |
साथ ही साथ तुम मेरा भी , सर ऊँचा कर जाओगे ,
सर ऊँचा कर जाओगे |
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