कला गीत
ये दस दिनों का संग सखि ,
नए - नए आयामों का है रंग सखि ,
कला और संगीत विधाएँ ,
दे चली हैं एक उमंग सखि ॥
सीख गए जो हम नई रचनाएँ ,
यादों में पलती जाएँगी ,
पग - पग पर ये सभी कलाएँ ,
साथ बहेंगी बन के तरंग सखि ॥
मिला साथ जो सब का हमको ,
मुस्कानें जो मिलीं यहाँ पर ,
सुन्दर बोल मिले हैं हमको ,
सुन्दर प्रीति के संग सखि ॥
पाया है ज्ञान यहाँ हमने ,
साथ हुआ मनोरंजन भी ,
जीवन में जुड़ गया है देखो ,
सरस ज्ञान का रंग सखि ॥
प्रथम दिवस जब आए थे ,
नहीं सोच हम पाए थे ,
आने वाले लाखों पल में ,
पा जाएँगे इंद्रधनुष सतरंग सखि ॥
कला बनी है दोस्त यहाँ ,
संगीत बना है साथी ,
जीवन का रंग बना सुरमय ,
पाया रस नवरंग सखि ॥
ऐसे ही प्रशिक्षण मिलें सदा ,
साथी ऐसे ही मिल जाएँ ,
तभी सभी के जीवन में ,
जागे नवीन तरंग सखि ॥
मिथलेश आज़ाद
निगम प्रतिभा विद्यालय ,
सी -1 ,जनकपुरी - |
ये दस दिनों का संग सखि ,
नए - नए आयामों का है रंग सखि ,
कला और संगीत विधाएँ ,
दे चली हैं एक उमंग सखि ॥
सीख गए जो हम नई रचनाएँ ,
यादों में पलती जाएँगी ,
पग - पग पर ये सभी कलाएँ ,
साथ बहेंगी बन के तरंग सखि ॥
मिला साथ जो सब का हमको ,
मुस्कानें जो मिलीं यहाँ पर ,
सुन्दर बोल मिले हैं हमको ,
सुन्दर प्रीति के संग सखि ॥
पाया है ज्ञान यहाँ हमने ,
साथ हुआ मनोरंजन भी ,
जीवन में जुड़ गया है देखो ,
सरस ज्ञान का रंग सखि ॥
प्रथम दिवस जब आए थे ,
नहीं सोच हम पाए थे ,
आने वाले लाखों पल में ,
पा जाएँगे इंद्रधनुष सतरंग सखि ॥
कला बनी है दोस्त यहाँ ,
संगीत बना है साथी ,
जीवन का रंग बना सुरमय ,
पाया रस नवरंग सखि ॥
ऐसे ही प्रशिक्षण मिलें सदा ,
साथी ऐसे ही मिल जाएँ ,
तभी सभी के जीवन में ,
जागे नवीन तरंग सखि ॥
मिथलेश आज़ाद
निगम प्रतिभा विद्यालय ,
सी -1 ,जनकपुरी - |
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