अपने या सपने
क्या लिखूँ दोस्तों ? क्या कहा , मन की बात लिखूँ ?
ऐसा करूँ तो शब्द रूठ जाते हैं , सच रूठ जाता है ,
और सच में डूबे , शब्द लिख दूँ तो ,
मेरे अपने रूठ जाते हैं ||
क्यों ? सच उन्हें कड़वा लगता है ,
अपने ऊपर तीखा व्यंग्य लगता है ,
तो क्या करूँ ? ऐसा कैसे लिखूँ ?
कि मन की भी इच्छा पूरी हो ,
सच में डूबे शब्द भी लिख पाऊँ , और अपने भी ना रूठें ||
अपनों और सपनों में , एक बड़ा संबंध है दोस्तों ,
अपने हैं तो सपने सो गए , और सपने जागे तो अपने दूर हुए ,
हमने तो दोस्तों अपनों की खातिर ,सपनों को दूर कर दिया ,
ऐसा तो हो नहीं सकता दोस्तों , दोनों हमें मिल जाएँ ||
No comments:
Post a Comment