Wednesday, July 30, 2025

APANE YAA SAPANE ( KSHANIKAA )

 

                            अपने या सपने 

 

क्या लिखूँ  दोस्तों  ? क्या कहा , मन की बात लिखूँ  ?

ऐसा करूँ तो शब्द रूठ जाते हैं  , सच रूठ जाता है ,

और सच में डूबे , शब्द लिख दूँ तो ,

मेरे अपने रूठ जाते हैं  || 

 

क्यों  ? सच उन्हें कड़वा लगता है , 

अपने ऊपर तीखा व्यंग्य लगता है , 

तो क्या करूँ ? ऐसा कैसे लिखूँ  ?

कि मन की भी इच्छा पूरी हो ,

सच में डूबे शब्द भी लिख पाऊँ , और अपने भी ना रूठें  || 

 

अपनों और सपनों में , एक बड़ा संबंध है दोस्तों ,

अपने हैं तो सपने सो गए , और सपने जागे तो अपने दूर हुए ,

हमने तो दोस्तों अपनों की खातिर ,सपनों को दूर कर दिया , 

ऐसा तो हो नहीं सकता दोस्तों , दोनों हमें मिल जाएँ  ||  

 

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