बाँध
कदम - कदम रखती हूँ तुझपे , तुझमें ही उतराती जाती ,
तेरी रंग - बिरंगी मगर अनजानी , दुनिया नहीं दिखायी देती ॥
लहरों की नरम - नरम बिछौनी , पाँवों को है सहला - सी जातीं ,
पाँव उतरते जाते तल को , कहीं नहीं मैं तो रुक पाती ॥
रत्नाकर तू है तो क्या , मैं भी हूँ रत्नाकर की दोस्त ,
रुतबा तेरे जैसा ही तो , संग तेरे मैं भी पा जाती ॥
रत्नों की है खान अगर तू , मैं भी तो दोस्त हूँ तेरी ,
रंगों में तू है डूबा तो , मैं भी तो सराबोर हो जाती ॥
लाखों पाते हैं जीवन तुझसे , मैं भी तुझसे ही तो पाती ,
मेरी हरेक खुशी तो रत्नाकर , है बस तेरी ही तो थाती ॥
हाथ बढ़ा कर मुझे बाँध ले , अपने गीले आँचल में ,
मैं चाहूँ तो भी रत्नाकर , तुझको बाँध नहीं पाती ॥
कदम - कदम रखती हूँ तुझपे , तुझमें ही उतराती जाती ,
तेरी रंग - बिरंगी मगर अनजानी , दुनिया नहीं दिखायी देती ॥
लहरों की नरम - नरम बिछौनी , पाँवों को है सहला - सी जातीं ,
पाँव उतरते जाते तल को , कहीं नहीं मैं तो रुक पाती ॥
रत्नाकर तू है तो क्या , मैं भी हूँ रत्नाकर की दोस्त ,
रुतबा तेरे जैसा ही तो , संग तेरे मैं भी पा जाती ॥
रत्नों की है खान अगर तू , मैं भी तो दोस्त हूँ तेरी ,
रंगों में तू है डूबा तो , मैं भी तो सराबोर हो जाती ॥
लाखों पाते हैं जीवन तुझसे , मैं भी तुझसे ही तो पाती ,
मेरी हरेक खुशी तो रत्नाकर , है बस तेरी ही तो थाती ॥
हाथ बढ़ा कर मुझे बाँध ले , अपने गीले आँचल में ,
मैं चाहूँ तो भी रत्नाकर , तुझको बाँध नहीं पाती ॥
No comments:
Post a Comment