तारीखें
तारीखों को बगल दबाकर , उड़ - उड़ करता मेरा कलैंडर ,
यही कलैंडर कहता है , मानव भी था कभी एक बंदर ॥
कुछ तारीखें रचतीं इतिहास , कुछ तारीखें करतीं परिहास ,
तारीखों की इस उठा - पटक में , डूब ही जाता पूर्ण समन्दर ॥
कल जो हुआ तारीख बताती , आने वाली घटना खुद तारीख बनाती ,
रुकता नहीं है वक़्त कभी भी , वक़्त भी तो है मानो कलन्दर ॥
जो कोई तारीख है रचता , जो कोई तारीख बदलता ,
उन्हीं को तारीखें याद हैं रखतीं , वो ही तिर जाते हैं समन्दर ॥
दुनिया याद रखती है जिनको , वो भी तारीखों में हैं डूबे ,
दुनिया के दिल में जो पैठा , वह ही कहलाया है सिकन्दर ॥
कुछ तारीखें लातीं मीठी यादें , कुछ कड़वे सच से जुड़ जातीं ,
पर पूरी दुनिया में , तारीखें ही लिखें कलैंडर ॥
तारीखों को बगल दबाकर , उड़ - उड़ करता मेरा कलैंडर ,
यही कलैंडर कहता है , मानव भी था कभी एक बंदर ॥
कुछ तारीखें रचतीं इतिहास , कुछ तारीखें करतीं परिहास ,
तारीखों की इस उठा - पटक में , डूब ही जाता पूर्ण समन्दर ॥
कल जो हुआ तारीख बताती , आने वाली घटना खुद तारीख बनाती ,
रुकता नहीं है वक़्त कभी भी , वक़्त भी तो है मानो कलन्दर ॥
जो कोई तारीख है रचता , जो कोई तारीख बदलता ,
उन्हीं को तारीखें याद हैं रखतीं , वो ही तिर जाते हैं समन्दर ॥
दुनिया याद रखती है जिनको , वो भी तारीखों में हैं डूबे ,
दुनिया के दिल में जो पैठा , वह ही कहलाया है सिकन्दर ॥
कुछ तारीखें लातीं मीठी यादें , कुछ कड़वे सच से जुड़ जातीं ,
पर पूरी दुनिया में , तारीखें ही लिखें कलैंडर ॥
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