सखा तीन
दाएँ झरना बाएँ झरना ,
खड़ी हूँ मैं दोनों के बीच ,
दायाँ हाथ एक ने पकड़ा ,
बायाँ पकड़ा दूजे ने ॥
झर - झर - झर झरने बहते हैं,
आपस में बातें करते हैं ,
दोनों की बातें हैं अनोखी ,
सुनली हैं देखो मैंने ॥
दोनों की बातें हैं अनोखी ,
सुनली हैं देखो मैंने ॥
दायाँ बोला बाएँ से ,
शीतल , निर्मल जल है मेरा ,
सबकी प्यास बुझाई है ,
जल ये लाकर के मैंने ॥
शीतल , निर्मल जल है मेरा ,
सबकी प्यास बुझाई है ,
जल ये लाकर के मैंने ॥
बायाँ भी हँस कर के बोला ,
मेरा भी जल शीतल है ,
धरा बहुत प्यासी थी बंधु ,
उसकी प्यास बुझाई मैंने ॥
मेरा भी जल शीतल है ,
धरा बहुत प्यासी थी बंधु ,
उसकी प्यास बुझाई मैंने ॥
दोनों ही फिर मुझसे बोले ,
तुम क्यों यूँ चुपचाप खड़ीं ?
हम दोनों हैं साथ तुम्हारे ,
दोनों का हाथ पकड़ा तुमने ॥
तुम क्यों यूँ चुपचाप खड़ीं ?
हम दोनों हैं साथ तुम्हारे ,
दोनों का हाथ पकड़ा तुमने ॥
बहुत दूर से आए दोनों ,
शीतल जल है अपने पास ,
उतर चले हैं धरा पे नीचे ,
मिल जाएंगे दोनों साथ ॥
शीतल जल है अपने पास ,
उतर चले हैं धरा पे नीचे ,
मिल जाएंगे दोनों साथ ॥
जल नीचे मिल जाएगा ,
धारा एक बनेगी फिर ,
तुम भी आओ साथ हमारे ,
तीनों सखा बनेंगे री ॥
धारा एक बनेगी फिर ,
तुम भी आओ साथ हमारे ,
तीनों सखा बनेंगे री ॥
झरनों की झर - झर धारा में ,
मैं भी चल दी उनके साथ ,
उनकी जब धारा एक हुई ,
मैं भी बह दी उनके साथ ॥
मैं भी चल दी उनके साथ ,
उनकी जब धारा एक हुई ,
मैं भी बह दी उनके साथ ॥
सखा बने हम तीनों ही ,
साथ चले हम तीनों ही ,
धरा के सुंदर - सुंदर दृश्य ,
देख हँसे हम तीनों ही ॥
साथ चले हम तीनों ही ,
धरा के सुंदर - सुंदर दृश्य ,
देख हँसे हम तीनों ही ॥