सागर - सागर
सागर किनारे लिए मय का सागर ,
बैठी हूँ मैं इन्तज़ार में ,
तू जो आ जाए तो ,
छलकेगी मय ॥
जाम में फिर ढलकेगी मय ,
होठों से अन्दर ,
उतरेगी मय ,
उठेंगी हिलोरें , दिल में मेरे ॥
सागर की लहरें भी ,
उछलती - उछलती ,
आयीं हैं देखो तो ,
भिगोया है तन को ,
मय की हिलोरों ने ,
भिगोया है मन को ॥
तन - मन है भीगा ,
नशे में सब डूबा ,
कुछ नशा है मय का ,
कुछ है सागर का ॥
आया तू जानम ,
नशा फिर बढ़ा है ,
कभी ना उतरेगा ,
ऐसा चढ़ा है ॥
गरजती लहरें भी ,
मानो नशे में ,
छल - छल कर रही हैं ,
अपनी खुशी को जाहिर कर रही हैं ॥
दोनों ही सागर ,
नशे से नशीले हैं ,
जिन्दगी से भरपूर ,
जोश से जोशीले हैं ॥
सागर किनारे , दूसरे सागर ने ,
मय ढलकाया जामों में ,
टकराया जाम - जाम से ,
उतरी मय होठों से अन्दर ॥
मय ने अपना काम किया ,
नशे में सराबोर किया ,
आँखों ने देखा सागर को ,
लगा सागर ना हसीन था इतना कभी ॥
सागर किनारे लिए मय का सागर ,
बैठी हूँ मैं इन्तज़ार में ,
तू जो आ जाए तो ,
छलकेगी मय ॥
जाम में फिर ढलकेगी मय ,
होठों से अन्दर ,
उतरेगी मय ,
उठेंगी हिलोरें , दिल में मेरे ॥
सागर की लहरें भी ,
उछलती - उछलती ,
आयीं हैं देखो तो ,
भिगोया है तन को ,
मय की हिलोरों ने ,
भिगोया है मन को ॥
तन - मन है भीगा ,
नशे में सब डूबा ,
कुछ नशा है मय का ,
कुछ है सागर का ॥
आया तू जानम ,
नशा फिर बढ़ा है ,
कभी ना उतरेगा ,
ऐसा चढ़ा है ॥
गरजती लहरें भी ,
मानो नशे में ,
छल - छल कर रही हैं ,
अपनी खुशी को जाहिर कर रही हैं ॥
दोनों ही सागर ,
नशे से नशीले हैं ,
जिन्दगी से भरपूर ,
जोश से जोशीले हैं ॥
सागर किनारे , दूसरे सागर ने ,
मय ढलकाया जामों में ,
टकराया जाम - जाम से ,
उतरी मय होठों से अन्दर ॥
मय ने अपना काम किया ,
नशे में सराबोर किया ,
आँखों ने देखा सागर को ,
लगा सागर ना हसीन था इतना कभी ॥
No comments:
Post a Comment