बिना पंख
पंख नहीं हैं मेरे पास ,
कैसे आऊँ तेरे पास ?
गगन का अँगना बड़ा विशाल ,
कैसे घूमूँ उसमें रे ??
बदरा तू तो पवन के संग ,
नील - गगन में रहता है ,
दोनों तुम संग - संग खेलो ,
खेल तुम्हारा चलता है ,
जीत कोई फिर जाता है ,
हार भी कोई पाता है ,
नील - गगन के आँगन में ,
खेल तो चलता रहता है ||
तेरे उड़ने पर बदरा ,
कड़क दामिनी की बोले ,
साथ ही चमक दामिनी की ,
नीचे आकर भी डोले ,
काश दामिनी संग रहूँ ,
दो पल ही मिल जाएँ तो ,
पा जाऊँ सबका यूँ साथ ,
देख तुम्हें मुस्काऊँ मैं ||
बरखा के रुक जाने पर ,
सूरज की किरणें आती हैं ,
इन्द्रधनुष तब बनता है ,
मेरा दिल ललचाता है ,
काश पंख मेरे होते ,
उड़ - उड़ आती पास तेरे ,
इन्द्रधनुष के रंगों की ,
छटा बिखरती पास मेरे ||
पंख नहीं हैं मेरे पास ,
कैसे आऊँ तेरे पास ?
गगन का अँगना बड़ा विशाल ,
कैसे घूमूँ उसमें रे ??
बदरा तू तो पवन के संग ,
नील - गगन में रहता है ,
दोनों तुम संग - संग खेलो ,
खेल तुम्हारा चलता है ,
जीत कोई फिर जाता है ,
हार भी कोई पाता है ,
नील - गगन के आँगन में ,
खेल तो चलता रहता है ||
तेरे उड़ने पर बदरा ,
कड़क दामिनी की बोले ,
साथ ही चमक दामिनी की ,
नीचे आकर भी डोले ,
काश दामिनी संग रहूँ ,
दो पल ही मिल जाएँ तो ,
पा जाऊँ सबका यूँ साथ ,
देख तुम्हें मुस्काऊँ मैं ||
बरखा के रुक जाने पर ,
सूरज की किरणें आती हैं ,
इन्द्रधनुष तब बनता है ,
मेरा दिल ललचाता है ,
काश पंख मेरे होते ,
उड़ - उड़ आती पास तेरे ,
इन्द्रधनुष के रंगों की ,
छटा बिखरती पास मेरे ||
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