Saturday, September 17, 2022

LEKHAA - JOKHAA ( JIVAN )

 

                 लेखा - जोखा 


बीता पहला दशक बंधु  जीवन का ,

अनजाने में ,ना समझी में ,

शुरु में अक्षर - ज्ञान हुआ था ,कविता -कहानी ,

प्रश्न -उत्तर ,हिंदी ,इंग्लिश और गणित समस्या हल करने में | 


दूसरे दशक में बड़ा हुआ क्षेत्र ,पढ़ना -लिखना हुआ अधिक ,

थोड़े खेल -कूद भी बढ़े ,सोच भी अब बढ़ने लगी थी बंधु |

 

दशक तीसरे में तो बंधु ,जीवन बिल्कुल बदल गया ,

पढ़ाई -लिखाई हुई पूरी ,मायका छोड़ ससुराल हुआ | 

 

चौथे दशक में हमारे ,प्रथम दशक के दर्शन हुए , 

अपने बच्चों में ,वही कहानी फिर से शुरु हुई | 

 

दशक पाँचवें में बढ़ी जिम्मेदारियाँ ,बच्चों की बड़ी पढ़ाइयाँ ,

उनकी बदलती जीवन शैलियाँ ,उनका बढ़ता कार्य क्षेत्र | 

 

छठा दशक तो हमें दिखा गया आईना ,

हम आए थे माता -पिता से दूर ,अपने कार्य क्षेत्र में ,

अब बच्चे गए अपने कार्य क्षेत्र में  | 


बीता जब दशक छठा ,तो हुए हम अकेले ,

क्षमताएँ हुईं ढीली ,कार्य क्षेत्र से सेवा -निवृत्ति ,

समय बढ़ा और फिर आए बच्चों केबच्चे ,

फिर से चली वही दिनचर्या | 


तो बंधु यह था ,अपने जीवन का लेखा -जोखा ,

अच्छा लगे तो बताना ,

अपने जीवन से अलग या भिन्न लगे तो बताना  | 



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