लेखा - जोखा
बीता पहला दशक बंधु जीवन का ,
अनजाने में ,ना समझी में ,
शुरु में अक्षर - ज्ञान हुआ था ,कविता -कहानी ,
प्रश्न -उत्तर ,हिंदी ,इंग्लिश और गणित समस्या हल करने में |
दूसरे दशक में बड़ा हुआ क्षेत्र ,पढ़ना -लिखना हुआ अधिक ,
थोड़े खेल -कूद भी बढ़े ,सोच भी अब बढ़ने लगी थी बंधु |
दशक तीसरे में तो बंधु ,जीवन बिल्कुल बदल गया ,
पढ़ाई -लिखाई हुई पूरी ,मायका छोड़ ससुराल हुआ |
चौथे दशक में हमारे ,प्रथम दशक के दर्शन हुए ,
अपने बच्चों में ,वही कहानी फिर से शुरु हुई |
दशक पाँचवें में बढ़ी जिम्मेदारियाँ ,बच्चों की बड़ी पढ़ाइयाँ ,
उनकी बदलती जीवन शैलियाँ ,उनका बढ़ता कार्य क्षेत्र |
छठा दशक तो हमें दिखा गया आईना ,
हम आए थे माता -पिता से दूर ,अपने कार्य क्षेत्र में ,
अब बच्चे गए अपने कार्य क्षेत्र में |
बीता जब दशक छठा ,तो हुए हम अकेले ,
क्षमताएँ हुईं ढीली ,कार्य क्षेत्र से सेवा -निवृत्ति ,
समय बढ़ा और फिर आए बच्चों केबच्चे ,
फिर से चली वही दिनचर्या |
तो बंधु यह था ,अपने जीवन का लेखा -जोखा ,
अच्छा लगे तो बताना ,
अपने जीवन से अलग या भिन्न लगे तो बताना |
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