Wednesday, August 31, 2022

JHADII ( RATNAKAR )

                      झड़ी 

 

बदरा से जल की झड़ी लगी ,इतना जल बरसा कि ,

सागर की लहरें उफ़न चलीं ,तट की ओर ,

सागर ने बाँह पकड़ रोका ,वापस अपनी राह लौटाया | 

 

सागर की गहराई बहुत ही ,लहरों की ऊँचाई बहुत ही ,

कूद -कूद कर लहरें खेलें ,सागर का भी दिल खुश होता ,

लहरें उसकी दोस्त हैं घनी ,

उनकी ख़ुशी तो है सागर की ख़ुशी | 


सागर के दिल में है छिपा ,

लहरें सोचें लिए खजाना हम चलें बाहर ,

मगर वज़न ले चलना मुश्किल ,

वापस चलीं सागर की ओर ,

वापस चलीं सागर की ओर | 


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