अमृत महोत्सव
कितने थे वीर देश के ? जान की निछावर देश पर ,
कितने थे लाल माँओं के ?हुए कुर्बान देश पर |
फाँसी पे लटके कुछ तो ,सीने पे गोली खाई थी ,
पर सब किसी के दिल में बसी ,भारत की माई थी |
आज़ादी मिली जब देश को ,सब ही खुशियों में डूब गए ,
कुछ - कुछ की तो पलकों में ,ख़ुशी के आँसू तैर गए |
देश के लाडलों के बलिदान ने ,दिलाई आज़ादी देश को ,
लहराया तिरंगा अपना ,लहराया तिरंगा अपना |
आज हुए पिचहत्तर बरस ,अमृत महोत्सव आ गया ,
आज़ाद भारत अपना आज ,पिचहत्तर बरस का हो गया |
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