Monday, August 8, 2022

MACHALTEE LAHAREN ( RATNAKAR )

 

                        मचलती लहरें 

 

एक अनोखी दुनिया है बसी ,तेरे अंदर -ऐ -सागर ,

रत्नों का है तू आकर ,तभी कहलातातू रत्नाकर | 

 

हर रंग छिपा है तेरे अंदर ,

मगर बाहर से है पानी - पानी ,

कोई रंग ना दिखाई दे ,

बस परछाईं दिखे है आसमानी | 

 

लहरें मचलतीं  तेरी शोर यूँ मचातीं ,

बाहर के लोगों को आवाज़ दे बुलातीं ,

खिलखिलाहटों से उनकी ,

सभी के मन पास आने को मचल  मचल जाते | 

 

हम भी तो तेरे पास आकर ,

लहरों में हैं तैरे ,लहरों में हैं डूबे ,

खेलों का सिलसिला ऐसा ,

चलता रहेगा यूँ ही सागर ,रत्नाकर | 

 



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