मचलती लहरें
एक अनोखी दुनिया है बसी ,तेरे अंदर -ऐ -सागर ,
रत्नों का है तू आकर ,तभी कहलातातू रत्नाकर |
हर रंग छिपा है तेरे अंदर ,
मगर बाहर से है पानी - पानी ,
कोई रंग ना दिखाई दे ,
बस परछाईं दिखे है आसमानी |
लहरें मचलतीं तेरी शोर यूँ मचातीं ,
बाहर के लोगों को आवाज़ दे बुलातीं ,
खिलखिलाहटों से उनकी ,
सभी के मन पास आने को मचल मचल जाते |
हम भी तो तेरे पास आकर ,
लहरों में हैं तैरे ,लहरों में हैं डूबे ,
खेलों का सिलसिला ऐसा ,
चलता रहेगा यूँ ही सागर ,रत्नाकर |
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