सावन
सावन की झड़ी लगी है बंधु ,
बदरा की गर्जन भी शामिल है ,
ऐसे मौसम में तो बंधु ,
दामिनी की चमकन भी शामिल है |
बिना दामिनी बदरा का वज़ूद क्या है ?
बिना बदरा सावन कुछ नहीं ,
बदरा और दामिनी दोनों मिलें तो ,
सावन है ,सावन है बंधु ,सावन है |
चारों ओर जल ही जल है ,
हर तरफ छायी हरियाली है ,
सब ओर पेड़ - पौधे खुश हैं ,
पूरी धरा ही मानो तृप्त है |
पेड़ों पर झूले लगने से ,
बच्चे - बड़े झूलते बारी - बारी ,
यही तो सावन का महीना है बंधु ,
अभी तो धरा तृप्त हो गई है सारी |
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