Sunday, December 29, 2024

AASTHAA YAA ANDHVISHVAAS - 2 ( KSHANIKAA )

 

                         आस्था या अंधविश्वास - 2 


बचपन में कुछ पंक्तियाँ पढ़ी थीं ,

नीलकंठ तुम नीले रहना ,मेरी बात भगवान से कहना ,

सोते हों तो जगा के कहना ,जागते हों तो कान में कहना || 


हमारे बचपन की आस्था और भरोसा ,

नीलकंठ और भगवान दोनों थे ,

आस्था के साथ -साथ हमारा ,अंधविश्वास भी था ,

नीलकंठ पर ,ईश्वर पर ,हाँ ! ईश्वर पर || 


ठीक कहा ना दोस्तों ,क्या आप भी ,

ऐसा ही विश्वास ईश्वर पर करते हैं ?

अगर ऐसा है ,तो आप भी ,

ईश्वर पर अंधविश्वास करते हैं || 


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