नन्हीं कली
नन्हीं कली है एक न्यारी सी , नन्हीं परी है एक प्यारी सी ,
भरा खुशियों से जिसने दामन को,जीवन खुशियों से जगमगाया है ।
रंग सावन का जैसे निखरा है , प्यार भी तो चहुँ ओर बिखरा है ,
रंग तो चंदनिया का निखरा है , प्यार आँखों में झिलमिलाया है ।
रंग तो चंदनिया का निखरा है , प्यार आँखों में झिलमिलाया है ।
नन्हीं सी मुस्कान उभर आयी है , संग - संग खुशबुएँ भी लाई है ,
मानो कलियों के रंगीन झुरमुट में,खुशबुओं संग पवन सरसराई है ।
मानो कलियों के रंगीन झुरमुट में,खुशबुओं संग पवन सरसराई है ।
कलियाँ खिलती रहें यूँ जीवन में , खुशबुएँ उड़ती रहें यूँ आँगन में ,
इन्हीं खुशबुओं ने तो जीवन को , बगिया के जैसा महकाया है ।
इन्हीं खुशबुओं ने तो जीवन को , बगिया के जैसा महकाया है ।
रंग - बिरंगी कलियों पे , उड़ रहीं हैं देखो रंगीन तितलियाँ ,
इन्हीं कलियों , तितलियों ने ही तो , सभी के मन को लुभाया है ।
इन्हीं कलियों , तितलियों ने ही तो , सभी के मन को लुभाया है ।
ना तोड़ो कलियाँ इन्हें खिलने दो,ना पकड़ो तितलियाँ इन्हें उड़ने दो ,
इन्हीं के खिलने व उड़ने ने ही तो , जिन्दगी को सुन्दर बनाया है ।
इन्हीं के खिलने व उड़ने ने ही तो , जिन्दगी को सुन्दर बनाया है ।
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