अम्बर - तल
ले बदरा मेरा हाथ पकड़ ,
ले चल अपने अम्बर में ,
तू तो है अम्बर का पंछी ,
इस सारे अम्बर - तल में ॥
तू जाने है ये जग सारा ,
तू घूमा परदेसों में ,
मैं बदरा पिंजरे की मैना ,
क्या जानूँ सागर - तल में ॥
सागर ही है रूप दूसरा ,
तेरे अपने दरपन में ,
भूल - भुलैयाँ में तो बदरा ,
मैं फँसती हूँ उलझन में ॥
ना तू जाने ना मैं जानूँ ,
दुनिया के अन्तस्थल में ,
जीवन नैया पार लगेगी ,
खे - खे कर इस सागर में ॥
रूप तेरा बदरा सुंदर है ,
रंग खिला है अम्बर में ,
जगमग तारे दोस्त हैं तेरे ,
झिलमिल चमके अम्बर में ॥
घूमघूम के मेरे बदरा ,
दिखला दे सारी दुनिया ,
तेरा साथ मिलेगा तब ही ,
घूमुंगी अम्बर - तल में ॥
ले बदरा मेरा हाथ पकड़ ,
ले चल अपने अम्बर में ,
तू तो है अम्बर का पंछी ,
इस सारे अम्बर - तल में ॥
तू जाने है ये जग सारा ,
तू घूमा परदेसों में ,
मैं बदरा पिंजरे की मैना ,
क्या जानूँ सागर - तल में ॥
सागर ही है रूप दूसरा ,
तेरे अपने दरपन में ,
भूल - भुलैयाँ में तो बदरा ,
मैं फँसती हूँ उलझन में ॥
ना तू जाने ना मैं जानूँ ,
दुनिया के अन्तस्थल में ,
जीवन नैया पार लगेगी ,
खे - खे कर इस सागर में ॥
रूप तेरा बदरा सुंदर है ,
रंग खिला है अम्बर में ,
जगमग तारे दोस्त हैं तेरे ,
झिलमिल चमके अम्बर में ॥
घूमघूम के मेरे बदरा ,
दिखला दे सारी दुनिया ,
तेरा साथ मिलेगा तब ही ,
घूमुंगी अम्बर - तल में ॥
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