ओढ़नी
कजरारे बदरा की ओढ़नी , ओढ़ी जो धरा ने ,
दामिनी चली आयी , ओढ़नी को सजाने ।
चमकीली धारियों से , मिला एक रूप है ,
ओढ़नी से छन रही , कजरारी धूप है ।
तारों की झिलमिल , टोली है बोली ,
चलो हम भी सजाएँ , ओढ़नी हमजोली ।
झिलमिल सितारों से , सजी जब ओढ़नी ,
सोने के तार सी , जगमग हुई ओढ़नी ।
धरा मुस्कुराई , देखी जब ओढ़नी ,
पहन कर इतराई , ओढ़ी जब ओढ़नी ।
देख रूप धरा का , सृष्टि जगमगाई ,
दुल्हन - सी धरा को देख , वह भी खिलखिलाई ।
कजरारे बदरा की ओढ़नी , ओढ़ी जो धरा ने ,
दामिनी चली आयी , ओढ़नी को सजाने ।
चमकीली धारियों से , मिला एक रूप है ,
ओढ़नी से छन रही , कजरारी धूप है ।
तारों की झिलमिल , टोली है बोली ,
चलो हम भी सजाएँ , ओढ़नी हमजोली ।
झिलमिल सितारों से , सजी जब ओढ़नी ,
सोने के तार सी , जगमग हुई ओढ़नी ।
धरा मुस्कुराई , देखी जब ओढ़नी ,
पहन कर इतराई , ओढ़ी जब ओढ़नी ।
देख रूप धरा का , सृष्टि जगमगाई ,
दुल्हन - सी धरा को देख , वह भी खिलखिलाई ।
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