बाग का वह एक कोना ,
याद है ना तुमको जानूँ ,
घंटों बैठे फूलों में ,
याद है ना तुमको जानूँ ??
महक वो फूलों की भीनी ,
जैसे चादर झीनी - झीनी ,
कलियों ने सुंदरता बीनी ,
याद है ना तुमको जानूँ ??
फूलों पे महके ओस के कण ,
मानो हीरे की हो कनी ,
गुणी जौहरी ने हो बुनी ,
याद है ना तुमको जानूँ ??
रूप कलियों का संवरता ,
खिलखिला के फूल बनता ,
जिनसे गुलशन है महकता ,
याद हैं ना तुमको जानूँ ??
उस महकते कोने में ,
बीतीं हैं कितनी ही शामें ,
जीवन की रंगीन शामें ,
याद हैं ना तुमको जानूँ ??
शामों में दिल का धड़कना ,
होठों का धीरे से लरजना ,
शांत आँखों का बहकना ,
याद है ना तुमको जानूँ ??
रुकते - रुकते बोल मेरे ,
झनझनाते स्वर वो तेरे ,
प्यार की कश्ती के डेरे ,
याद हैं ना तुमको जानूँ ??
कोई ना उसमें दखल दे ,
हर तरफ हम साथ चल दें ,
प्यार की एक राह मिल जे ,
याद है ना तुमको जानूँ ??
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