बातें
सर्दियों की धूप कुनमुनी ,
दिल की अनेक बातें अनसुनी ,
सरसराती पत्तियों की बातें ,
जो हैं पंछियों ने सुनीं ॥
चहक नन्हीं चिड़ियों की ,
कुहुक प्यारी कोयल की ,
कहती हैं आपस में ,
सखि तुम तो हो बहुत गुनी ॥
गुलशन ये घर अपना ,
फूलों - कलियों का सपना ,
देखो तो बातों की ,
झालर इन्होंने भी बुनी ॥
बुलबुल भी आकर ,
इनमें शामिल हुई ,
उसने भी देखी ,
कलियों - फूलों पर ओस की नमी ॥
इन सब की बातें सुन ,
फूल मुस्कुरा दिए ,
कलियाँ भी खिलकर ,
महकीं और फूल बनीं ॥
बुलबुल के मीठे गीत ,
गूँज गए गुलशन में ,
चहक और कुहुक भी ,
गीतों की तान बनी ॥
फूलों और कलियों की ,
खुश्बू से गुलशन भर गया ,
ऐसे ही दिन ढल गया ,
और रात सुहागन बनी ॥
सर्दियों की धूप कुनमुनी ,
दिल की अनेक बातें अनसुनी ,
सरसराती पत्तियों की बातें ,
जो हैं पंछियों ने सुनीं ॥
चहक नन्हीं चिड़ियों की ,
कुहुक प्यारी कोयल की ,
कहती हैं आपस में ,
सखि तुम तो हो बहुत गुनी ॥
गुलशन ये घर अपना ,
फूलों - कलियों का सपना ,
देखो तो बातों की ,
झालर इन्होंने भी बुनी ॥
बुलबुल भी आकर ,
इनमें शामिल हुई ,
उसने भी देखी ,
कलियों - फूलों पर ओस की नमी ॥
इन सब की बातें सुन ,
फूल मुस्कुरा दिए ,
कलियाँ भी खिलकर ,
महकीं और फूल बनीं ॥
बुलबुल के मीठे गीत ,
गूँज गए गुलशन में ,
चहक और कुहुक भी ,
गीतों की तान बनी ॥
फूलों और कलियों की ,
खुश्बू से गुलशन भर गया ,
ऐसे ही दिन ढल गया ,
और रात सुहागन बनी ॥
No comments:
Post a Comment