मुस्काता दिनकर
सुबह सवेरे उठ जाता है ,
शाम ढले तू सोता है ,
सारा दिन तू चलता रहता ,
दिनकर तू थक जाता होगा ||
तेरे उठने से जग उठता ,
तेरे सोते सोता है ,
अँगड़ाई ले उठने से तो ,
सारा जग उठ जाता होगा ||
दुनिया तुझसे जीवन पाती ,
और पाती मुस्कान नयी ,
मुस्कानों की चकाचौंध में ,
जग भी चुँधियाता होगा ||
चटक रश्मियाँ जब तू देता ,
पहुँची वो जब धरती पर ,
उनकी तपन से ही तो दिनकर ,
सारा जग तप जाता होगा ||
उसी तपन से जीवन उगता ,
नन्हीं कोंपल की भाँति ,
तू ही नन्हीं कोंपल को फिर ,
वट का वृक्ष बनाता होगा ||
कली से फूल और फूल से फल ,
तेरे कारण बनते हैं ,
फल से बीज बनाकर तू ही ,
फिर से चक्र चलाता होगा ||
रंग बिखेरे तूने दिनकर ,
सादी सी इस दुनिया में ,
बता मुझे क्या तू भी दिनकर ?
रंगों में ऐसे नहाता होगा ||
दिन भर तेरी चमक से दिनकर ,
जग चम - चम , चम - चम करता ,
उसी चमक से सारा जग ,
चम - चम चमकाता होगा ||
साँझ ढली तो पहुँच क्षितिज़ पर ,
हल्की चमक दिखाता है ,
ऐसे में तो फिर तू दिनकर ,
थकता सा थक जाता होगा ||
थकन तेरी जग को भी थकाती ,
करने लगते सब आराम ,
तू जब छिप जाता घर में ,
अँधियारा छा जाता होगा ||
तेरे छिप जाने से दिनकर ,
रजनी जग में घर कर लेती ,
उस रजनी के साम्राज्य में ,
सारा जग सो जाता होगा ||
सुबह सवेरे उठ जाता है ,
शाम ढले तू सोता है ,
सारा दिन तू चलता रहता ,
दिनकर तू थक जाता होगा ||
तेरे उठने से जग उठता ,
तेरे सोते सोता है ,
अँगड़ाई ले उठने से तो ,
सारा जग उठ जाता होगा ||
दुनिया तुझसे जीवन पाती ,
और पाती मुस्कान नयी ,
मुस्कानों की चकाचौंध में ,
जग भी चुँधियाता होगा ||
चटक रश्मियाँ जब तू देता ,
पहुँची वो जब धरती पर ,
उनकी तपन से ही तो दिनकर ,
सारा जग तप जाता होगा ||
उसी तपन से जीवन उगता ,
नन्हीं कोंपल की भाँति ,
तू ही नन्हीं कोंपल को फिर ,
वट का वृक्ष बनाता होगा ||
कली से फूल और फूल से फल ,
तेरे कारण बनते हैं ,
फल से बीज बनाकर तू ही ,
फिर से चक्र चलाता होगा ||
रंग बिखेरे तूने दिनकर ,
सादी सी इस दुनिया में ,
बता मुझे क्या तू भी दिनकर ?
रंगों में ऐसे नहाता होगा ||
दिन भर तेरी चमक से दिनकर ,
जग चम - चम , चम - चम करता ,
उसी चमक से सारा जग ,
चम - चम चमकाता होगा ||
साँझ ढली तो पहुँच क्षितिज़ पर ,
हल्की चमक दिखाता है ,
ऐसे में तो फिर तू दिनकर ,
थकता सा थक जाता होगा ||
थकन तेरी जग को भी थकाती ,
करने लगते सब आराम ,
तू जब छिप जाता घर में ,
अँधियारा छा जाता होगा ||
तेरे छिप जाने से दिनकर ,
रजनी जग में घर कर लेती ,
उस रजनी के साम्राज्य में ,
सारा जग सो जाता होगा ||
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