काश तुझे
ले सागर मेरा हाथ पकड़ ,
दुनिया तुझे घुमाऊँ मैं ,
ऊँचे - ऊँचे शैल शिखर ,
उन पर भी ले जाऊँ मैं ||
शैल शिखर पर उड़ते बदरा ,
जल तुझसे ही पाते हैं ,
उन बदरा की बरखा में ,
सागर तुझे भिगाऊँ मैं ||
बदरा में चमकी दामिनी ,
गरज - गरज कर शोर मचाती ,
उसी दामिनी की चमक से ,
सागर तुझे चमकाऊँ मैं ||
रेतीला सा बीच है सागर ,
तू ना कभी उस पर दौड़ा ,
आज उसी बीच पर सागर ,
खूब तुझे दौड़ाऊँ मैं ||
नन्हें - मुन्ने बना रहे हैं ,
छोटे - छोटे घर उस रेत पर ,
तू भी बना ले एक घरोंदा ,
दूजा यहाँ बनाऊँ मैं ||
गीला - गीला रेत है सागर ,
इस पर खड़े हो जाते हैं ,
उठती लहरों के छीटों से ,
सागर तुझे भिगाऊँ मैं ||
तुझमें शुरू हुआ जीवन ,
फिर वह धरती पर आया ,
उसी जीवन के बढ़े स्वरूप से ,
सागर तुझे मिलवाऊँ मैं ||
विकसित जीवन ने तो सागर ,
धरा का रूप बदल डाला ,
बदली वनस्पतियों से सागर ,
तेरा परिचय करवाऊँ मैं ||
खान - पान और रहन - सहन ,
सभी तो बदला धरती पर ,
तेरे स्वागत में सागर ,
पार्टी और डाँस कराऊँ मैं ||
तूने केक नहीं खाया ,
ना ही बर्गर और पिज्जा ,
कोका - कोला भी पिया नहीं है ,
ये सब तुझे खिलाऊँ मैं ||
सब कुछ होने पर भी सागर ,
तेरी कल - कल का संगीत ,
सबसे मधुर संगीत वही है ,
वो ही तुझे सुनवाऊँ मैं ||
प्यार में डूबी तेरी लहरें ,
हाथ पकड़ जब लेती हैं ,
ऐसा ही प्यार मैं सागर ,
काश तुझे दे पाऊँ मैं ||
ले सागर मेरा हाथ पकड़ ,
दुनिया तुझे घुमाऊँ मैं ,
ऊँचे - ऊँचे शैल शिखर ,
उन पर भी ले जाऊँ मैं ||
शैल शिखर पर उड़ते बदरा ,
जल तुझसे ही पाते हैं ,
उन बदरा की बरखा में ,
सागर तुझे भिगाऊँ मैं ||
बदरा में चमकी दामिनी ,
गरज - गरज कर शोर मचाती ,
उसी दामिनी की चमक से ,
सागर तुझे चमकाऊँ मैं ||
रेतीला सा बीच है सागर ,
तू ना कभी उस पर दौड़ा ,
आज उसी बीच पर सागर ,
खूब तुझे दौड़ाऊँ मैं ||
नन्हें - मुन्ने बना रहे हैं ,
छोटे - छोटे घर उस रेत पर ,
तू भी बना ले एक घरोंदा ,
दूजा यहाँ बनाऊँ मैं ||
गीला - गीला रेत है सागर ,
इस पर खड़े हो जाते हैं ,
उठती लहरों के छीटों से ,
सागर तुझे भिगाऊँ मैं ||
तुझमें शुरू हुआ जीवन ,
फिर वह धरती पर आया ,
उसी जीवन के बढ़े स्वरूप से ,
सागर तुझे मिलवाऊँ मैं ||
विकसित जीवन ने तो सागर ,
धरा का रूप बदल डाला ,
बदली वनस्पतियों से सागर ,
तेरा परिचय करवाऊँ मैं ||
खान - पान और रहन - सहन ,
सभी तो बदला धरती पर ,
तेरे स्वागत में सागर ,
पार्टी और डाँस कराऊँ मैं ||
तूने केक नहीं खाया ,
ना ही बर्गर और पिज्जा ,
कोका - कोला भी पिया नहीं है ,
ये सब तुझे खिलाऊँ मैं ||
सब कुछ होने पर भी सागर ,
तेरी कल - कल का संगीत ,
सबसे मधुर संगीत वही है ,
वो ही तुझे सुनवाऊँ मैं ||
प्यार में डूबी तेरी लहरें ,
हाथ पकड़ जब लेती हैं ,
ऐसा ही प्यार मैं सागर ,
काश तुझे दे पाऊँ मैं ||
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