पवन - सखि
पवन तू तो है री मेरी सखि ,
हाथ मेरा थाम उड़ाती है जैसे ,
छू कर मेरे ललाट को ,
प्यार करती जाती है जैसे ||
लबों को मेरे छू कर ,
मुस्कुराहटें बढ़ाती जाती है जैसे ,
नयनों में तो आकर तू ,
सपने बुनती जाती है जैसे ||
बिखरी जुल्फों को मेरी ,
और बिखराती जाती है जैसे ,
क़दमों में तो तू मेरे ,
अपनी गति देती जाती है जैसे ||
मेरे गीतों को तो पवनी ,
तू गुनगुनाती जाती है जैसे ,
घुँघरुओं की झनकार सी तू ,
झनक - झनक बजती जाती है जैसे ||
तेरे इस प्यार का जवाब सखि ,
मेरे नयनों की चमक देती है ,
मेरे लबों की मुस्कराहट सखि ,
तुझको भी तो मुस्कुरा ही देती है ||
मेरी जुल्फें भी तो मेरी पवनी ,
तेरे झोंकों का साथ देती हैं ,
कदम तो मेरे भी मेरी सखि ,
तेरे ही साथ दौड़ पड़ते हैं ||
तेरी गुनगुनाहट पर मेरी सखि ,
मेरे गीतों के बोल फूट पड़ते हैं ,
घुँघरुओं जैसी झनकार पर तो ,
मेरे स्तब्ध कदम स्वयं नाच पड़ते हैं ||
मेरी बाँहें फैल कर जैसे ,
तुझे अपने में समेटना चाहें ,
आगे बढ़कर ये तुझको सखि ,
अपने आगोश में भरना चाहें ||
प्यार दोनों का अनमोल सखि ,
चाहे तू हो या मैं हूँ ,
जिन्दगी प्यार में गुजर जाये ,
चाहे तेरी हो या कि मेरी हो ||
पवन तू तो है री मेरी सखि ,
हाथ मेरा थाम उड़ाती है जैसे ,
छू कर मेरे ललाट को ,
प्यार करती जाती है जैसे ||
लबों को मेरे छू कर ,
मुस्कुराहटें बढ़ाती जाती है जैसे ,
नयनों में तो आकर तू ,
सपने बुनती जाती है जैसे ||
बिखरी जुल्फों को मेरी ,
और बिखराती जाती है जैसे ,
क़दमों में तो तू मेरे ,
अपनी गति देती जाती है जैसे ||
मेरे गीतों को तो पवनी ,
तू गुनगुनाती जाती है जैसे ,
घुँघरुओं की झनकार सी तू ,
झनक - झनक बजती जाती है जैसे ||
तेरे इस प्यार का जवाब सखि ,
मेरे नयनों की चमक देती है ,
मेरे लबों की मुस्कराहट सखि ,
तुझको भी तो मुस्कुरा ही देती है ||
मेरी जुल्फें भी तो मेरी पवनी ,
तेरे झोंकों का साथ देती हैं ,
कदम तो मेरे भी मेरी सखि ,
तेरे ही साथ दौड़ पड़ते हैं ||
तेरी गुनगुनाहट पर मेरी सखि ,
मेरे गीतों के बोल फूट पड़ते हैं ,
घुँघरुओं जैसी झनकार पर तो ,
मेरे स्तब्ध कदम स्वयं नाच पड़ते हैं ||
मेरी बाँहें फैल कर जैसे ,
तुझे अपने में समेटना चाहें ,
आगे बढ़कर ये तुझको सखि ,
अपने आगोश में भरना चाहें ||
प्यार दोनों का अनमोल सखि ,
चाहे तू हो या मैं हूँ ,
जिन्दगी प्यार में गुजर जाये ,
चाहे तेरी हो या कि मेरी हो ||
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