रंगीन क्षितिज
धरा गगन से मिली जहाँ पर ,
हल्का सलेटी रंग मिला गगन को ,
भेद न पाईं रवि की किरणें ,
धुंध भरे रंगीन क्षितिज को ||
रंग लाल हो गया गगन का ,
रवि किरणों की छटा निराली ,
प्रातः वंदन के समय की तो ,
सूर्य रश्मियाँ फैलीं आली ||
चढ़ते सूर्य के समय पर ,
गहरा लाल रंग गहराया ,
मानो गगन रंगा इसी रंग में ,
और पीछे से सूरज मुस्काया ||
कुछ दूरी पर उसी गगन पर ,
पीला रंग ऐसा चढ़ आया ,
लगा गगन ये पीत वस्त्र ले ,
सकुचाता सा आया शरमाया ||
और फिर दूर - दूर तक ,
सभी दिशाएँ , सभी दूरियाँ ,
पार करीं उसी गगन ने ,
नीले - नीले रंग में डूबीं ||
धीरे - धीरे सूर्य रश्मियाँ ,
उतरीं इस अलसायी धरा पर ,
सभी धरावासी अलसाए से ,
उठ बैठे सब जागृत हो कर ||
धरा गगन से मिली जहाँ पर ,
हल्का सलेटी रंग मिला गगन को ,
भेद न पाईं रवि की किरणें ,
धुंध भरे रंगीन क्षितिज को ||
रंग लाल हो गया गगन का ,
रवि किरणों की छटा निराली ,
प्रातः वंदन के समय की तो ,
सूर्य रश्मियाँ फैलीं आली ||
चढ़ते सूर्य के समय पर ,
गहरा लाल रंग गहराया ,
मानो गगन रंगा इसी रंग में ,
और पीछे से सूरज मुस्काया ||
कुछ दूरी पर उसी गगन पर ,
पीला रंग ऐसा चढ़ आया ,
लगा गगन ये पीत वस्त्र ले ,
सकुचाता सा आया शरमाया ||
और फिर दूर - दूर तक ,
सभी दिशाएँ , सभी दूरियाँ ,
पार करीं उसी गगन ने ,
नीले - नीले रंग में डूबीं ||
धीरे - धीरे सूर्य रश्मियाँ ,
उतरीं इस अलसायी धरा पर ,
सभी धरावासी अलसाए से ,
उठ बैठे सब जागृत हो कर ||
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