चाँदनी की चमक
चाँद उतर आया नीचे धरती पर ,
मेरे अँगना में चाँदनी खिल गई ,
खिड़की से दिखते सागर में तो ,
चमकती हुई चाँदनी बिछ गई ||
गुलाबी चमकता हुआ चाँद था ,
चाँदी सी चमकती हुई चाँदनी ,
बदरा से अठखेलियाँ करता हुआ चाँद था ,
खनकती हुई सी चाँदनी मिल गई ||
कारी सी रात में गगन की बिंदी बन ,
लुभाता हुआ सा वो चाँद था ,
डुबकी लगाता सागर में चाँद जैसे ,
पानी में जैसे चाँदनी घुल गई ||
रेतीले किनारे भी शीतलता पाएँ ,
ठंडक जो बिखराई उस चाँद ने ,
रेतीले कणों में भी मानो उस रात में ,
चाँदनी की सारी शीतलता घुल गई ||
सभी के नयन खिल गए मुस्कुरा के ,
जब देखा नजरें उठा के चाँद ने ,
सभी की नज़रों में तो मानो उस रात में ,
चाँदनी की सारी चमक ही खिल गई ||
प्यार पाके सभी का चाँद मुस्काया भी ,
सभी पे उसने अपना प्यार लुटाया भी ,
देख के लेन - देन इस तरह प्यार का ,
चाँदनी भी जैसे पूरी तरह लुट गई ||
चमक फ़ैल गई सारी दुनिया में जैसे ,
चमकीला सारा जहां हो गया ,
चाँद ने देखा सभी को यूँ मुस्का के ,
चाँदनी की चमक तो बढ़ती चली गई ||
No comments:
Post a Comment