खिड़की से
चाँद भी अब खिड़की से , झाँके है सखि ,
देख के मुस्कान उसकी , खिल गया दिल सखि ||
क्या हुआ ? क्यों अंदर हैं सभी ?
बच्चों की किलकारियाँ , क्यों अंदर खिलखिलायीं ??
बाहर सब खाली है , सूना पड़ा है ,
किसी की भी आहटें , नहीं हैं कहीं ||
चाँद तू अनजान है ,क्या इस सब से ?
रुकी हुई मानव की , इस जिंदगी से ||
मानव सिमट गया है , अपनी चारदीवारी में ,
घेर लिया है दुनिया को , एक महामारी ने ||
खिड़की से ही ये आँखें , तुझे देख सकतीं ,
द्वार तो बंद हैं , नहीं खोल सकती ||
तू तो सारी दुनिया को , घूम कर है देखता ,
सारी खबर है तुझको , फिर भी है टोकता ||
वादा कर अब तू , रोज यूँ ही आएगा ,
खिड़की से झाँक कर ही , मुझसे बतियाएगा ||
रोज मैं यूँ ही , तेरा करूँगी इंतज़ार ,
आना यूँ ही रोज , ना करना देर आने में ||
चाँद भी अब खिड़की से , झाँके है सखि ,
देख के मुस्कान उसकी , खिल गया दिल सखि ||
क्या हुआ ? क्यों अंदर हैं सभी ?
बच्चों की किलकारियाँ , क्यों अंदर खिलखिलायीं ??
बाहर सब खाली है , सूना पड़ा है ,
किसी की भी आहटें , नहीं हैं कहीं ||
चाँद तू अनजान है ,क्या इस सब से ?
रुकी हुई मानव की , इस जिंदगी से ||
मानव सिमट गया है , अपनी चारदीवारी में ,
घेर लिया है दुनिया को , एक महामारी ने ||
खिड़की से ही ये आँखें , तुझे देख सकतीं ,
द्वार तो बंद हैं , नहीं खोल सकती ||
तू तो सारी दुनिया को , घूम कर है देखता ,
सारी खबर है तुझको , फिर भी है टोकता ||
वादा कर अब तू , रोज यूँ ही आएगा ,
खिड़की से झाँक कर ही , मुझसे बतियाएगा ||
रोज मैं यूँ ही , तेरा करूँगी इंतज़ार ,
आना यूँ ही रोज , ना करना देर आने में ||
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