लहरें और मैं
सागर तेरी चंचल लहरें ,
मुस्काती शोर मचाती हैं ,
उछल - उछल कर , मचल - मचल कर ,
सबको पास बुलाती हैं ||
मैं इन लहरों में उतराती ,
ऊपर - नीचे को इठलाती ,
लहरों के संग - संग ही सागर ,
आगे - पीछे को बह जाती ||
इन लहरों ने बाँधा मुझको ,
इन लहरों ने पकड़ा है ,
उछल - उछल कर इन लहरों ने ,
बाँहों में अपनी जकड़ा है ||
लेटी हूँ मैं इन लहरों पर ,
कोमल - कोमल इनका तन है ,
ये ठंडी शीतल लहरें ,
कोमल ही इनका मन है ||
लिपट - लिपट कर इन लहरों पर ,
मैं इतराती तैर रही ,
ऊपर - नीचे को लहरों संग ,
लहराती मैं खेल रही ||
लहरें , मैं दोनों सखियाँ हैं ,
दोनों बतियाती जातीं ,
अजब खेल हैं हम दोनों के ,
जिनसे हम दोनों खिल जातीं ||
सागर तेरी चंचल लहरें ,
मुस्काती शोर मचाती हैं ,
उछल - उछल कर , मचल - मचल कर ,
सबको पास बुलाती हैं ||
मैं इन लहरों में उतराती ,
ऊपर - नीचे को इठलाती ,
लहरों के संग - संग ही सागर ,
आगे - पीछे को बह जाती ||
इन लहरों ने बाँधा मुझको ,
इन लहरों ने पकड़ा है ,
उछल - उछल कर इन लहरों ने ,
बाँहों में अपनी जकड़ा है ||
लेटी हूँ मैं इन लहरों पर ,
कोमल - कोमल इनका तन है ,
ये ठंडी शीतल लहरें ,
कोमल ही इनका मन है ||
लिपट - लिपट कर इन लहरों पर ,
मैं इतराती तैर रही ,
ऊपर - नीचे को लहरों संग ,
लहराती मैं खेल रही ||
लहरें , मैं दोनों सखियाँ हैं ,
दोनों बतियाती जातीं ,
अजब खेल हैं हम दोनों के ,
जिनसे हम दोनों खिल जातीं ||
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